रविवार, जुलाई 03, 2011

अपने और पराये(लघु कथा)

"ठीक है भैया समझो कि आपका ये काम हो गया." इतना कहकर अनिरुद्ध ने फोन रख दिया व कुर्सी पर आराम की स्थिति में बैठे-२ सोचने लगा, अभी दिन ही कितने हुए भैया से मिले कोई दो साल बस किन्तु इन दो सालों में भैया से नाता सगे भाई से बढ़कर हो गया. कभी-२ भैया खुद ही हंसकर कहने लगते हैं, " हम दोनों का रिश्ता पिछले जन्म का है. हो न हो तुम पिछले जन्म में मेरे छोटे भाई होगे और बेशक इस जन्म में तुम मेरे सगे भाई नहीं हो लेकिन तुम मेरे लिए लक्ष्मण के जैसे हो." भाभी भी अक्सर बताती हैं...आगे पढ़ें...

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