बुधवार, दिसंबर 28, 2011

प्रेम का भात पकाते रवीन्द्र प्रभात




प्रिय मित्रो

सादर ब्लॉगस्ते!

   पुराना साल रोते-हँसते, खोते-पाते बीतने वाला है और नया साल मुस्कुराते हुए आने वाला है। जहाँ पूरा जग नए साल के स्वागत में अपनी पलकें बिछा रहा है वहीं  रवीन्द्र  प्रभात जी हिंदी ब्लॉगरों को अगले साल होनेवाले ब्लोगोत्सव में खिलाने के लिए प्रेम का भात पका रहे हैं। भात पकाने के लिए चावल की बोरी अविनाश वाचस्पति जी ने नुक्कड़ नामक सुपर फास्ट ट्रेन से भेजी है। इस साल ५१ लोगों को भात खिलाया गया था अबकी बार देखते हैं कि कितने लोग इस प्रेम भात को खाने का सौभाग्य पाते हैं। हालांकि   रवीन्द्र प्रभात जी अभी हाल ही में थाईलैंड से थके-मांदे लौटे हैं और वहां चलते-फिरते उनकी थाई भी थक गयी हैं फिर भी उन्हें प्रेम भात पकाने का इतना चाव है कि आते ही लग गए अपने काम-काज में। तो मित्रो आप सब समझ ही गए होंगे कि आज मैं आपकी मुलाक़ात करवाने जा रहा हूँ परिकल्पना पर हम सबकी राष्ट्रभाषा हिंदी की प्रगति का कल्पना को साकार रूप देने में लगे हुए श्री   रवीन्द्र प्रभात जी से.  आगे पढ़ें...